Tuesday, March 29, 2011

"अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम .."



जिस समुन्दर को रोज देखा करते थे हम ।
लहरों से खूब बातें किया करते थे हम ।
अब उन किनारों को दूर छोड़ आये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
मगर इन "यादों" को कहाँ ले जाएँ हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
"यादें" सहारा होती है जीवन का ,
मेरे साथ रहती हैं हमेशा "यादें" और "हम" ।
पहले भी तन्हा थे और आज भी तन्हा हैं हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
शिकवा नहीं किसी से ना शिकायत है कोई,
चलो, कुछ लम्हों के लिए तो मुस्करा लिये हम ।
उनकी "ख़ामोशी" , सब कुछ समझ गये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।

13 comments:

  1. जिस समुन्दर को रोज देखा करते थे हम ।
    लहरों से खूब बातें किया करते थे हम ।
    अब उन किनारों को दूर छोड़ आये हम ।
    अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
    दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
    ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
    मगर इन "यादों" को कहाँ ले जाएँ हम ।
    अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।

    एक -एक शब्द जेसे दिल के हालत बया कर रहा है --बहुत सुन्दर .

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  2. @ Darshan Kaur Ji :
    ज़िन्दगी का इम्तिहान हमने कुछ दिया इस तरह ,
    वह हर रोज हमें एक नया सवाल देती रही ।

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  3. अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।very nice poem hai...bhut nayab panktiya hai...

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  4. @ Sushma Ji :
    एक दिन ज़िन्दगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जायेगी , दोस्ती तो सिर्फ यादों में ही रह जायेगी ।
    हर एक कप कॉफी , याद दोस्तों की दिलायेगी। और हँसते- हँसते फिर आखें नम हो जायेगीं ।
    ऑफिस के चैम्बर में classroom नज़र आयेगी , पर चाहने पर भी proxy नहीं लग पायेगी ।
    पैसा तो बहुत होगा, मगर उन्हें लूटाने की वजह ही खो जायेगी ।
    जीलो खुल कर इस पल को मेरे दोस्तों , ज़िन्दगी इन पलों को फिर से नहीं दोहरायेगी ।
    क्यों ऐसा ही होगा ना ...?

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  5. acchee lagee aapkee ye rachana.....


    दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
    ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।

    kash ye itna aasan hota.......

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  6. @ Apanatva Ji :
    "हर सूरज सूली चढ़ता है रोज किसी अंधियारी में ,
    पता नहीं हम कितना रोये , हंसने की तैयारी में । "
    सच कहा आपने, काश किसी को भूलना इतना आसान होता ।
    मेरे मानना है , किसी को भूलने का मतलब ज़िन्दगी को खत्म करना है... जब तक यह ज़िन्दगी है.... राहे सफ़र में यादों के साये संग-संग चलते रहते हैं...
    आपको मेरी यह कविता पसंद आई , आपका दिल से आभार....

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  7. शिकवा नहीं किसी से ना शिकायत है कोई,
    चलो, कुछ लम्हों के लिए तो मुस्करा लिये हम ।
    उनकी "ख़ामोशी" , सब कुछ समझ गये हम ।

    BAHUT HI MANORAM KAVITA HAI SIR JI...

    www.akashsingh307.blogspot.com

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  8. @ Akash Singh Ji : Aapko Mere Kavita Pasand Aayi, Aapka Dil Se Shukriya .....

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  9. dear shalabh..nice thoughts..

    beautiful words...

    regards ..

    from vishal kasera

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  10. Vishal Ji : Thanks a lot for your kind words..
    Love & Peace..

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  11. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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  12. @ Sara Sach : Thanks for your words..
    Sure, I will visit your blog...
    Regards..

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