Wednesday, August 16, 2017

"अधूरी कवितायें..."

सिर्फ़ तुम पर ही लिखी हैं सारी कवितायें मैंने,
एक दिन सब तुमको ही सुनानी हैं।
कुछ कवितायें अधूरी रहीं, 
कुछ कवितायें लिख ना सके।
कुछ कवितायें तुम सुन ना सके, 
कुछ कवितायें हम सुना ना सके।
वक्त गुजर गया कुछ कवितायें कहने का,
कुछ कवितायें तुमको सुनाने का, 
अभी वक्त आया ही नहीं।
कई कवितायें, अभी तुम पर लिखनी बाकी हैं।
कई अधूरी कवितायें अभी पूरी करनी बाकी हैं।
हो जायेंगी एक दिन सब कवितायें पूरी ,
जीवन अनंत है आस है पूरी ।
इन्तजार लंबा है मगर, अनेकों जीवनकाल हैं।
तब तक, एक सर्वश्रेष्ठ कविता भी बन जायेगी।
सिर्फ़ तुम पर ही लिखी हैं सारी कवितायें मैंने,
एक दिन सब तुमको ही सुनानी हैं। 
© ® शलभ गुप्ता "राज"

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