तुम्हें तो अब शायद,
याद भी नहीं होगा।
गहरे पीले रंग का ,
तुम्हारा एक रूमाल ,
मेरे पास रह गया था।
उसी में बांधकर रखी हैं,
तुम्हारे संग बीते हुए ,
लम्हों की सारी यादें।
डायरी के पन्नों पर,
लिखी हैं सारी बातें।
तुम्हें तो अब शायद ,
याद भी नहीं होगा।
तुमने जो ग्रीटिंग कार्ड्स ,
मुझको वापस भेज दिए थे,
सब संभालकर रखें है मैंने।
क्योंकि, उन लिफाफों पर;
मेरा नाम जो लिखा है,
तुमने अपने हाथों से।
बहुत सुन्दर लिखती हो,
बिलकुल अपनी तरह।
तुम्हें तो अब शायद ,
याद भी नहीं होगा।
© ® शलभ गुप्ता
(अभी बहुत कुछ लिखना बाकी है ,
शेष फिर कभी लिखेंगें दिल की बातें )
याद भी नहीं होगा।
गहरे पीले रंग का ,
तुम्हारा एक रूमाल ,
मेरे पास रह गया था।
उसी में बांधकर रखी हैं,
तुम्हारे संग बीते हुए ,
लम्हों की सारी यादें।
डायरी के पन्नों पर,
लिखी हैं सारी बातें।
तुम्हें तो अब शायद ,
याद भी नहीं होगा।
तुमने जो ग्रीटिंग कार्ड्स ,
मुझको वापस भेज दिए थे,
सब संभालकर रखें है मैंने।
क्योंकि, उन लिफाफों पर;
मेरा नाम जो लिखा है,
तुमने अपने हाथों से।
बहुत सुन्दर लिखती हो,
बिलकुल अपनी तरह।
तुम्हें तो अब शायद ,
याद भी नहीं होगा।
© ® शलभ गुप्ता
(अभी बहुत कुछ लिखना बाकी है ,
शेष फिर कभी लिखेंगें दिल की बातें )
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