मेरी जिंदगी तूने मुझे,
बहुत आजमाया है।
सिर्फ़ खोया ही है आज तक,
नही कुछ पाया है।
लौट गई खुशियाँ बीच राह में से ही,
मील के पत्थरों ने,
आंसुओं से भीगा हुआ ,
यह संदेशा भिजवाया है।
क्यों आ जाते हैं हम ,
हर किसी की बातों में ,
गैरों से ज्यादा हमें,
अपनों ने रुलाया है।”
(कई वर्ष पूर्व लिखी एक कविता)
@ शलभ गुप्ता "राज"
बहुत आजमाया है।
सिर्फ़ खोया ही है आज तक,
नही कुछ पाया है।
लौट गई खुशियाँ बीच राह में से ही,
मील के पत्थरों ने,
आंसुओं से भीगा हुआ ,
यह संदेशा भिजवाया है।
क्यों आ जाते हैं हम ,
हर किसी की बातों में ,
गैरों से ज्यादा हमें,
अपनों ने रुलाया है।”
(कई वर्ष पूर्व लिखी एक कविता)
@ शलभ गुप्ता "राज"
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