Monday, March 14, 2022

"खामोशियाँ .."

मेरे प्रिय,
पतझड़ के मौसम ! 
तुम्हारा,
दिल से शुक्रिया। 
हरे भरे पत्तों में,
वो बात कहाँ,
सूखे पत्ते ही,
तोड़ सके,
मेरी राह की,
खामोशियाँ। 

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