शायद बहुत कुछ,
बाकी है अभी।
मेरे हिस्से की,
गुनगुनी धुप,
मेरे हिस्से की सांसें।
शायद लिखनी है अभी,
कुछ नई प्रेम कवितायेँ।
शायद मिलना है अभी,
कुछ नए दोस्तों से,
करनी है उनसे,
ढेर सारी बातें।
शायद किसी दिन,
चलना है मुझे,
संग तुम्हारे,
समुंदर किनारे,
देर तलक।
एक जीवन में मिला,
मुझे दूसरा जीवन।
बहुत कुछ बदल गया,
इस एक वर्ष में।
शुक्रिया ज़िन्दगी।
शायद कहना है,
अभी बहुत कुछ,
शेष लिखूंगा फिर बातें।
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