शायद,
आज तक,
चाय बनानी,
नहीं आयी मुझे।
एक कप बनाता हूँ,
मगर,
हमेशा की तरह,
दो कप,
बन जाती है मुझसे।
आधा कप पानी,
को उबालकर,
उसमे फिर,
आधा कप दूध,
मिलाकर,
आधा चम्मच चीनी,
एक चम्मच पत्ती और,
थोड़ा अदरक डालकर,
ही तो बनाता हूँ चाय।
फिर भी,
दो कप चाय,
बन जाती है।
पता नहीं क्यों ?
श्रीमती जी,
चाय पीती नहीं।
दोस्त बहुत मसरूफ रहते हैं,
अपने कारोबार में।
मिलने अब आते नहीं।
फिर भी दो कप चाय,
बन जाती है मुझसे।
पता नहीं क्यों ?
यूँ तो कोई आएगा नहीं,
अब मिलने मुझसे।
इंतज़ार भी नहीं है,
किसी का अब मुझे।
कोई आने वाला भी नहीं है,
फिर भी ना जाने क्यों,
दो कप चाय,
बन जाती है मुझसे।
पता नहीं क्यों ?
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