माँ, तुम कहाँ हो ?
मैं जानता हूँ आप,
कई वर्ष पूर्व हम सबसे,
बहुत दूर चले गए हो।
तुम्हारे हाथ के बने स्वेटर ही,
तो पहनते थे हम बचपन में।
सर्दियों का मौसम आने को है,
थोड़ा बीमार भी रहता हूँ अब,
ठण्ड भी कुछ ज़्यादा ही लगती है।
आपका आशीर्वाद और,
दवाइयों का डिब्बा अब,
मेरे साथ साथ चलता है।
तुम तो सब जानती हो माँ,
मुझे बाजार की चीजें पसंद नहीं,
रेडीमेड गर्म कपड़ों में भी,
वो बात नहीं आती है।
चाहे सपनों में ही आ जाना,
अपने हाथों से मेरे लिए,
एक "स्वेटर" बुन जाना।
No comments:
Post a Comment