
अब इस शहर को छोड़ कर जाने का मन है।
आखों में हैं यादों के मोती, भारी बहुत मन है।
आप सबसे मुलाकात, अब शायद ही फिर होगी ।
दिल में उम्मीद तो काफ़ी है , मगर यकीन कुछ कम है।
अब इस शहर को छोड़ कर जाने का मन है।
आखों में हैं यादों के मोती, भारी बहुत मन है।
आखों में हैं यादों के मोती, भारी बहुत मन है।
जब से चले हैं, आज तक सफर में हैं।
मंजिल तक जो साथ चले हमारे,
किसी शख्स के इरादों में कहाँ इतना दम है।
अब इस शहर को छोड़ कर जाने का मन है।
आखों में हैं यादों के मोती, भारी बहुत मन है।
आखों में हैं यादों के मोती, भारी बहुत मन है।
apko isi saher me hi rahena hai
ReplyDeletenikunj patel
Dear Nikunj ,
ReplyDeleteMaine sahi hi kaha tha, is shahar se jaana hi pada mujhe...... aap sab ki yaaden mere saath hain..... phir milenge......