Saturday, June 20, 2009

"अपने अस्तित्व को ही अपनी पहचान बनाना है"

इस प्रथ्वी पर हमारा अस्तित्व होना महत्वपूर्ण है, यह बात जब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब हमारा जन्म एक मनुष्य के रूप में हुआ हो।
यह जीवन एक बार मिलता है, इस जीवन को सार्थक बनाना हमारा कर्तव्य है। हर व्यक्ति के पास 24 घंटे होते हैं, यह उसके विवेक पर निर्भर करता है कि वह इन 24 घंटे का प्रयोग किस प्रकार से करे।

हमारा अस्तित्व , हमारे लिए मूल्यवान है, हमारे कर्म ही हमारी पहचान हैं। जीवन पथ पर चलना है निरंतर , जीवन में सही उद्देश्य को पाना ही, जीवन की सार्थकता का परिणाम है।
लंबा जीवन जीने से अधिक महत्वपूर्ण है कि हमने जीवन को किस प्रकार से जिया है । क्या हमने अपने जीवन में कुछ ऐसा किया है जो सबसे अलग हो, सबसे नया हो। हमने अपने जीवन को सफल बनाने के लिए कोई सार्थक प्रयास किया है या नहीं।
हमें अपनी सजीवता को प्रर्दशित करना है। माध्यम "सघन" हो या "विरल", बस सकारात्मक सोच के साथ अविरल धारा की तरह आगे चलते जाना है। बहता हुआ "जल" बनना है , ठहरा हुआ "पानी" नहीं।
अपने अस्तित्व को ही अपनी पहचान बनाना है। जीवन में सफल होकर दिखाना है।

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