Friday, June 12, 2009

"यह "अहसास" ही, बस मेरे साथ होता है"



हर लम्हा , एक अलग "अहसास" होता है।
यह "अहसास" ही, बस मेरे साथ होता है।
"मिलन" के लम्हों को , शब्दों में बयां कैसे करें ,
मिलन से पहले का "अहसास" ही, बहुत ख़ास होता है।
बारिशें आतीं हैं, किसी की यादें लेकर
रिम-झिम बूंदों में , अपने पन का "अहसास" होता है।
यह "अहसास" ही, बस मेरे साथ होता है।
अपनी ज़िन्दगी में, तुम्हें तलाश किया था मैंने।
पहली बार छुआ था मैंने तुम्हारे हाथों को,
जब तुम्हारी रेखाओं से, अपनी रेखाओं को मिलाया था मैंने।
आज भी, उस "स्पर्श" का "अहसास" मुझे होता है।
यह "अहसास" ही, बस मेरे साथ होता है।
अपनी रेखाओं में जब, तुम को नहीं पाया था मैंने।
मैं ही जानता हूँ, वो हाल तुम्हें कैसे बताया था मैंने।
बिना कुछ कहे, फिर आखों से ही समझाया था मैंने।
दर्द का अहसास, इन आंसुओं को खूब होता है।
यह "अहसास" ही, बस मेरे साथ होता है।

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