I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Monday, November 30, 2009
"मंजिल चाहे कितनी भी दूर सही .... "
मंजिल चाहे कितनी भी दूर सही .... क़दमों पर अपने , बस भरोसा होना चाहिए। ठहरे हुए पानी में क्या मज़ा आएगा, तैरने के लिए , समुन्दर में तूफान चाहिए। चलते रहना है निरंतर , ना रुकना है कभी .. भीड़ से अलग, पद-चिन्ह अपने बनाना चाहिए।
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