Monday, November 30, 2009

"मंजिल चाहे कितनी भी दूर सही .... "

मंजिल चाहे कितनी भी दूर सही ....
क़दमों पर अपने , बस भरोसा होना चाहिए।

ठहरे हुए पानी में क्या मज़ा आएगा,
तैरने के लिए , समुन्दर में तूफान चाहिए।
चलते रहना है निरंतर , ना रुकना है कभी ..
भीड़ से अलग, पद-चिन्ह अपने बनाना चाहिए।

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