Monday, July 10, 2017

"ये बारिशें भी प्रेमिका की तरह हैं.."

A.C. कमरों में बैठकर,
T.V. पर बारिशों का हाल देखकर,
शहर में हुए जलभराव की, 
अख़बार में छपी तस्वीरें देखकर,
कहाँ भीग पाते हैं हम।  
साल भर बारिशों का इंतज़ार ,
करते हैं.. और फिर ; 
बारिशों में भीगने से डरते हैं।  
छाता संग लेकर चलते हैं।  
हर रोज भीगना ज़रूरी नहीं,
कभी-कभी तो भीग ही सकते हैं।  
ये बारिशें भी प्रेमिका की तरह हैं,
हर रोज मिलने नहीं आती हैं।   
इसीलिए जब भी बारिशें आयें ,
जी भरकर भीगना।  
मोबाइल, घडी वगैरह ;
सब घर पर रख आना ।  
आना तो बस भीगने आना।  
@ शलभ गुप्ता "राज"

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