A.C. कमरों में बैठकर,
T.V. पर बारिशों का हाल देखकर,
शहर में हुए जलभराव की,
अख़बार में छपी तस्वीरें देखकर,
कहाँ भीग पाते हैं हम।
साल भर बारिशों का इंतज़ार ,
करते हैं.. और फिर ;
बारिशों में भीगने से डरते हैं।
छाता संग लेकर चलते हैं।
हर रोज भीगना ज़रूरी नहीं,
कभी-कभी तो भीग ही सकते हैं।
ये बारिशें भी प्रेमिका की तरह हैं,
हर रोज मिलने नहीं आती हैं।
इसीलिए जब भी बारिशें आयें ,
जी भरकर भीगना।
मोबाइल, घडी वगैरह ;
सब घर पर रख आना ।
आना तो बस भीगने आना।
@ शलभ गुप्ता "राज"
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