मैं ग्रीष्म हूँ ,
ज़रा देर से आया हूँ।
हालातों की तेज तपन में,
बारिशों की खुशबू लाया हूँ।
कंकरीट के इस शहर को,
अपना बनाने आया हूँ।
कुछ गीत नये लिखने आया हूँ।
कुछ कवितायेँ सुनाने आया हूँ।
मैं ग्रीष्म हूँ ,
ज़रा देर से आया हूँ।
@ शलभ गुप्ता "राज"
पृथा थिएटर , मुंबई
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(श्रीकांत पुराणिक द्वारा निर्देशित नाटक
"ग्रीष्म" के लिये लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ )
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ज़रा देर से आया हूँ।
हालातों की तेज तपन में,
बारिशों की खुशबू लाया हूँ।
कंकरीट के इस शहर को,
अपना बनाने आया हूँ।
कुछ गीत नये लिखने आया हूँ।
कुछ कवितायेँ सुनाने आया हूँ।
मैं ग्रीष्म हूँ ,
ज़रा देर से आया हूँ।
@ शलभ गुप्ता "राज"
पृथा थिएटर , मुंबई
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(श्रीकांत पुराणिक द्वारा निर्देशित नाटक
"ग्रीष्म" के लिये लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ )
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