दिल की हर बात को,
शब्दों में लिखना ज़रूरी नहीं।
खामोश रहकर भी हम,
अपनी बात कह सकते हैं।
क्योंकि अगर तुम,
मेरे चेहरे को नहीं पढ़ पाए।
मेरे शब्दों के अर्थ भी,
तुम्हारे लिए व्यर्थ हैं।
शब्दों में लिखना ज़रूरी नहीं।
खामोश रहकर भी हम,
अपनी बात कह सकते हैं।
क्योंकि अगर तुम,
मेरे चेहरे को नहीं पढ़ पाए।
मेरे शब्दों के अर्थ भी,
तुम्हारे लिए व्यर्थ हैं।
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