Wednesday, October 2, 2019

मेरे प्रिय अक्टूबर..

मेरे प्रिय अक्टूबर,
तुम कैसे हो ?
कई महीनों बाद आये हो।
सब कुशल तो है ना।
तुम्हारा दिल से शुक्रिया।
बहुत नाचते, गाते, महकते आये हो।
कई त्योहारों की खुशबू संग लाये हो।
जिनके दिलों में उदासी हो,
और घरों में घने अँधेरे हों।
उनके घर की दीवारों पर,
खुशियों की झालर लगा आना।
उनके घर के आँगन में आकर,
आशाओं के दीप जला जाना।
मुझसे मिले बिना नहीं जाना।
हमारे घर  भी ज़रूर आना।
तुम्हारा अपना,
शलभ गुप्ता 

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