Sunday, October 6, 2019

"वापस लौट आओ तुम..."

देख लिया ना !
क्या मिला तुम्हें ?
बड़े शहर में आकर।
कंक्रीट के जंगल,
कारखानों से निकलते धुएं,
समुन्दर के खारे पानी,
और अकेलेपन के सिवा।
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा,
वापस लौट आओ तुम,
चलो अपने  गांव की ओर।
कड़वे नीम की ठंडी छांव,
कुएं के मीठे पानी की ओर।
शहर से आने वाले रस्ते पर,
एक सांवली सी लड़की,
आज भी तुम्हारी राह देखती है।   

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