"माँ" सिर्फ एक शब्द नहीं,
सम्पूर्ण जीवन का वृतांत है।
उससे ही है हमारा अस्तित्व ,
संसार में एक पहचान है।
हर दिन उनके लिए ख़ास है,
"माँ" का साथ, जिनके पास है।
माँ के लिए , एक ही दिन नहीं,
सारा जीवन उनके नाम है।
उससे ही है हमारा अस्तित्व ,
संसार में एक पहचान है।
aasheesh.
ReplyDeleteMaa ke ashirwad ki zarurat jeevan me har samay hai.... aapka ashirwad mere jeevan ke liye ek dharohar hai....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कविता!
ReplyDelete--
सबसे प्यारा होता है : अपनी माँ का मुखड़ा!
सच है माँ के अस्तित्व से हमारी शुरुआत है ...
ReplyDeleteसही कहा आपने रवि जी.... माँ तो बस माँ है ....
ReplyDeleteसच है नासवा जी....माँ से ही हमारा अस्तित्व है.... फिर भी हम माँ को भूल जातें है.... बचपन में हमारे बिना कहे ही जो माँ सब कुछ जान लेती है.... कि हमें क्या चाहिए ..... बड़ें होकर हम उससे कहते हैं ... "माँ ... तुम हमारी बात नहीं समझती हो "
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