बातें ख़ुशी की हों या गम की,
मेरे आंसू छलक ही जातें हैं।
जो बातें, मैं कह नहीं पाता...
वह सब "आंसू" कह जातें हैं।
"आंसू", फिर शब्द बनकर
मेरी कविता में ढल जाते हैं।
कभी "सिसकतें" हैं शब्द मेरे,
और कभी "मुस्कारते" हैं ।
अपनेपन का "अहसास" हो जहाँ,
दिल की बातें , हम उन्हीं को बताते हैं।
जो बातें, मैं कह नहीं पाता...
वह सब "आंसू" कह जातें हैं।
बातें ख़ुशी की हों या गम की,
मेरे आंसू छलक ही जातें हैं।
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