अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
उबड़-खाबड़ देख कर,
रास्ता ना बदल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
गिरकर, संभलता चल ।
ठोकरों से सीखता चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
रंग-बिरंगी कारें देख कर,
मन ना मचल ।
समय तेरा भी आयेगा ,
जरा सब्र तो कर ।
मिल ही जायेगी मंजिल,
आज , नहीं तो कल !
अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
अच्छी पंक्तिया है .....
ReplyDeleteयहाँ भी अपने विचार प्रकट करे ---
( कौन हो भारतीय स्त्री का आदर्श - द्रौपदी या सीता.. )
http://oshotheone.blogspot.com
प्रेरणादायक रचना ..
ReplyDeleteमिल ही जायेगी मंजिल,
ReplyDeleteआज , नहीं तो कल !
अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल
चाहे, हौले-हौले चल ....
बहुत खूब .. चलते रहने से मंज़िल मिल ही जाएगी ... सच है कर्म किए चल ....
जरा सब्र तो कर ।
ReplyDeleteमिल ही जायेगी मंजिल,
आज , नहीं तो कल !
अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल .....
सच है ... चलते रहने से मंज़िल मिल ही जाती है .. कर्म करना चाहिए ...
@दिगम्बर नासवा : आपका ह्रदय से आभार....
ReplyDeleteआज इंसान के पास सब कुछ है बस "सब्र" नहीं है... और इसीलिए वह दुखी है....
@ संगीता स्वरुप : आपका ह्रदय से आभार....
ReplyDeleteमैं हमेशा ही जुड़ा था आपसे
ReplyDeleteआपने देखा नहीं मुड़कर कभी...
याद है हमारे दूसरे ब्लॉग सम्वेदना के स्वर से होली पर आपसे जुड़ा था..फिर बच्चे की तबियत और उसके स्कूल के बारे में भी पूछा था मैंने..पर आपने कभी अपना नहीं बनाया!!
ख़ैर मैं पहले भी आपका दोस्त था..आज भी हूँ!!अच्छा लगा आपका आना!!
Dear Shalabh Jee,
ReplyDeleteReading you blog is a beautiful experience.
I have joined today to the beautiful blog world , let me try to write something.
Yours Truly
Sanjay Sharma
प्रिय सलिल जी,
ReplyDeleteआपके अपनत्व से भरे शब्दों ने, हमेशा के लिए मुझे आपका बना दिया है.....
आपका ह्रदय से आभारी हूँ.....
प्रिय संजय जी,
ReplyDeleteब्लॉग की दुनिया में आपका तहे दिल से स्वागत है.....
मेरी आपको शुभकामनाएं...