I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Saturday, October 9, 2010
"थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो ...."
थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।
इस अजनबी दुनिया में पहली बार ,
"राज" को मिला कोई अपना ,
इस खुशी में आज हमें , जी भर के रो लेने दो।
थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।
पतझड़ के मौसम में आयीं हैं बहारें,
खुशबू फूलों की फिजा में और ज़रा महकने दो।
थोडी- थोडी है झिझक अभी,
राजे दिल ज़रा धीरे - धीरे खुलने दो।
थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।
कह लेना तुम भी अपने दिल की बातें ,
वक्त जरा थोड़ा और गुजरने दो।
उम्र पड़ी है अभी सारी, गिले शिकवे भी कर लेंगें ।
इस वक्त ना तुम कुछ कहो, ना हम कुछ कहें
बस जी भर के एक दूसरे को देखने दो।
थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।
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kya baat hai ............
ReplyDeletesunder rachana.......
@ apanatva : aapka hraday se abhaar....
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