Tuesday, October 26, 2010

"जन्म-जन्मान्तर के रिश्ते है ..."

यूँ ही दिल को नहीं अच्छा लगता कोई ।
हर रोज सपनों में नहीं आता कोई ।
यूँ तो दुनिया में हजारों हैं लोग,
पर ज़िन्दगी का एक से ही जुड़ता है संजोग ।
जन्म-जन्मान्तर के रिश्ते है "राज"।
इन्हें तोड़ नहीं सकता कोई ।
"एक नज़र" के लिए तलाशते उम्रभर ,
उम्रभर के लिए फिर बस वही "एक प्यारी" सी नज़र ।
सिमट जाती है दुनिया,
याद नहीं रहता फिर कोई ।
जन्म-जन्मान्तर के रिश्ते है "राज"।
इन्हें तोड़ नहीं सकता कोई ।

रिश्ते पहले बन जाते हैं ,
जन्म हम बाद में पाते हैं ।
खुदा के बनाये इन रिश्तों को ,
कैसे ना माने कोई ।
एक मैं ही क्या ,
उम्रभर निभाता है हर कोई ।
जन्म-जन्मान्तर के रिश्ते है "राज"।
इन्हें तोड़ नहीं सकता कोई ।

4 comments:

  1. सच है जन्मों के रिश्ते तोड़ना आसान नही ... बहुत अच्छा लिखा है ...

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  2. @ Digambar ji : रिश्ते पहले बन जाते हैं ,जन्म हम बाद में पाते हैं ।

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  3. @ apanatva ji : Aapke shabd mera hausla bada jaate hain...bhaut-bhaut abhaar ....

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