I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Saturday, October 23, 2010
"चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।"
चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।
सांझ ढले से ही मुझको , बस उसका इंतज़ार था।
उससे मिलने की तमन्ना में, दिल बेकरार था।
आंसमा में चमक रहा, मानों आफताब था।
चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।
छत पर बैठ कर , बतियाँ की ढेर सारी।
आखों ही आखों में गुज़र गयी रात सारी ।
मेरे चाँद का , जुदा सबसे अंदाज़ था।
चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।
चंद लम्हों में ही, कई जन्मों का साथ था।
चांदनी में उसकी , अपनेपन का अहसास था।
बिछुड़ने के वक्त, आखों में बस मेरी ....
आंसुओं का ही "राज" था।
चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।
फोटो - आभार गूगल
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तभी तो इतनी खास कविता बन पाई।सुन्दर रचना के लिये बधाई।
ReplyDelete@ Nirmala ji : aapka Hradey se bhaut-bhaut aabhar....
ReplyDeleteमेरा भी यही कहना है -
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चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।
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@ Ravi Ji: Sach kaha aapne.... bhaut khaas tha...vah chaand.... bhaut yaad ayega ab chand...
ReplyDeleteKya baat hai ...
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