मत सुनो आज कोई कविता मुझसे,
सिर्फ़ ख़ुद से ही बांतें करने दो
क्यों सुनाता हूँ मै कविता तुम्हें,
ख़ुद से आज पूछने दो
कभी- कभी लगता है,
प्रश्नों की किताब है ज़िन्दगी
जिंदगी के सारे प्रश्नों को ,
आज मुझसे हल करने दो,
ना जाने कैसी यह किताब है जिंदगी की ?
सारे प्रश्न हल भी ना हो पाते है,
कुछ नए प्रश्न हर बार जुड़ जाते हैं
कहाँ से आते है यह प्रश्न ,
किस्सा सारा आज मुझे समझने दो
मत सुनो आज कोई कविता मुझसे,
सिर्फ़ ख़ुद से ही बांतें करने दो
यहाँ छोटे प्रश्नों के उत्तर भी ,
पूरे विस्तार से लिखने होते हैं
खाली स्थान वाले प्रश्नों मै भी ,
सही शब्द ही भरने होते हैं
यूँ तो आने वाले नए प्रश्नों के भी ,
सारे उत्तर हैं मेरे पास ...
मगर पहले ,
अधूरे प्रश्नों को आज मुझे हल करने दो
मत सुनो आज कोई कविता मुझसे,
सिर्फ़ ख़ुद से ही बांतें करने दो
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