Monday, February 9, 2009

नींव का पत्थर बनना है मुझे ........


गुम्बद में नहीं लगना है मुझे,
नींव का पत्थर बनना है मुझे।
सब अगर गुम्बद में ही लगेंगे,
नींव में फिर कौन से पत्थर लगेंगे
आसमान नही छूना है मुझे,
धरती में ही बस रहना है मुझे।
ख़ुद खामोश रहकर सबको
मुस्कराते हुए देखना है मुझे।
नींव का पत्थर बनना है मुझे।
देवता के चरणों में नही अर्पित होना है मुझे।
फूलों की माला नहीं बनानी है मुझे।
शूल बनकर फूलों की हिफाज़त करनी है मुझे।
नींव का पत्थर बनना है मुझे।
कहीं दूर नहीं जाना है मुझे,
कश्ती में ही रहना है मुझे।
मांझी बनकर , सबको पार ले जाना है मुझे।
नींव का पत्थर बनना है मुझे।

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