Saturday, February 28, 2009

हिचकियाँ सारी रात आतीं रहीं ..........

कल रात तेरी यादों ने सताया बहुत ,
हिचकियाँ सारी रात आतीं रहीं ,
“राज ” को रुलाया बहुत ।
यूँ तो हवा थी थमी हुई मगर,
उम्मीद का दिया टिमटिमाया बहुत।
बहुत छोटी है जिंदगी की किताब मेरी ,
एक ही पन्ने पर अटकी है साँस मेरी ,
लहू से लिखा है , जिस पर तेरा नाम बहुत।
मिल न सके हम , बिछुड़ना पड़ा हमें ,
किस्मत से ज्यादा शायद ,
पा लिया था मैंने बहुत ।
कल रात तेरी यादो ने सताया बहुत
हिचकियाँ सारी रात आतीं रहीं ,
“राज ” को रुलाया बहुत ।

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