Thursday, February 12, 2009

" * * * * १४ फरवरी २००९ * * * * "



इश्क अँधा नहीं, इश्क “मासूम” है ,
आंखों से देख कर दिल में समाने वाला ,
एक खूबसूरत सा एहसास है।
खुशनसीब हैं वो लोग , जिनके पास यह एहसास है।
इश्क अँधा नहीं , इश्क “खामोश” है ,
बिना कुछ कहे बहुत कुछ समझने का एहसास है।
खुशनसीब है वो लोग , जिनके साथ यह एहसास है।
इश्क अँधा नहीं , इश्क “इंतज़ार” है ,
किसी नज़र को, आज भी किसी का इंतज़ार है।
खुशनसीब है वो लोग ,
जो आज भी करते किसी का इंतज़ार है।
इश्क अँधा नहीं , इश्क एक “कसम” है,
खुशनसीब हैं वो लोग, जिनके लिए
किसी की आँखें आज भी नम हैं ।
इश्क , “राज” के सपनों में आने वाली
एक खूबसूरत परी की ,
प्यारी सी एक "प्रेम कहानी" है।
खुशनसीब हैं , वो लोग जिनको
आज भी याद वो कहानी जुबानी है।

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