Friday, November 6, 2009

"दिल से दिल को जोड़ना चाहता हूँ मैं ...."

दिल से दिल को जोड़ना चाहता हूँ मैं,
समुन्दर में रास्ता बनाना चाहता हूँ मैं ।
किनारे पर लहरों से बातें की बहुत दिन,
अब तूफानों से टकराना चाहता हूँ मैं।
दिल से दिल को जोड़ना चाहता हूँ मैं ......
छुप-छुप कर देख लिया अब बहुत दिन,
अब उन्हें छू कर देखना चाहता हूँ मैं।
यूँ तो रोज़ मेरे ख्वाबों में आते हैं वो ....
अब उनके ख्वाबों में आना चाहता हूँ मैं।
दिल से दिल को जोड़ना चाहता हूँ मैं .......
छोटी सी उम्र में दुश्मन बना लिए बहुत,
अब एक दोस्त बनाना चाहता हूँ मैं।
कवितायें तो बहुत लिखी हैं मैंने,
अब एक दास्ताँ लिखना चाहता हूँ मैं।
दिल से दिल को जोड़ना चाहता हूँ मैं ......

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