Sunday, November 15, 2009

"आप माने या ना माने , मगर सच कहता हूँ मैं ..."

कम पढ़ा लिखा हूँ मगर, इतना हिसाब लगा लेता हूँ मैं।
मिलने से ज़्यादा आपसे , बिछुड़ने के पल पाता हूँ मैं।
आप माने या ना माने , मगर सच कहता हूँ मैं।
वक्त ने दूर कर दिया , मुझको आपसे मगर......
हमेशा आपको अपने ही करीब पाता हूँ मैं।
आप माने या ना माने , मगर सच कहता हूँ मैं।
अब कोई नहीं आवाज़ देगा और बुलाएगा मुझको,
फिर भी हर आहट पर चौंक जाता हूँ मैं ।
आप माने या ना माने , मगर सच कहता हूँ मैं।

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