I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Wednesday, November 18, 2009
"तन तो है मिटटी का ......."
तन तो है मिट्टी का, चाहे कोई भी ले ले । मन तो जिसका होना था , अब तो हो गया । बना दिया मीरा मुझे, और मन "घनश्याम" हो गया। कुछ नहीं रहा अब पास मेरे, जिसको ले जाना था, वो सब ले गया। बना दिया मीरा मुझे, और मन "घनश्याम" हो गया।
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