Sunday, May 30, 2010

* * * * * * * * अधूरे प्रश्न * * * * * * * *



"मत सुनो आज कोई कविता मुझसे, सिर्फ़ ख़ुद से ही बांतें करने दो
क्यों सुनाता हूँ मै कविता तुम्हें, ख़ुद से आज पूछने दो
कभी- कभी लगता है, प्रश्नों की किताब है ज़िन्दगी
जिंदगी के सारे प्रश्नों को आज मुझसे हल करने दो,
ना जाने कैसी यह किताब है जिंदगी की ?
सारे प्रश्न हल भी ना हो पाते है, कुछ नए प्रश्न हर बार जुड़ जाते हैं
कहाँ से आते है यह प्रश्न , किस्सा सारा आज मुझे समझने दो
मत सुनो आज कोई कविता मुझसे, सिर्फ़ ख़ुद से ही बांतें करने दो
यहाँ छोटे प्रश्नों के उत्तर भी , पूरे विस्तार से लिखने होते हैं
खाली स्थान वाले प्रश्नों मै भी , सही शब्द ही भरने होते हैं
यूँ तो आने वाले नए प्रश्नों के भी सारे उत्तर हैं मेरे पास
मगर पहले , अधूरे प्रश्नों को आज मुझे हल करने दो
मत सुनो आज कोई कविता मुझसे, सिर्फ़ ख़ुद से ही बांतें करने दो ।"

2 comments:

  1. आपकी ( खुले मन से सबसे मिलना चाहिए ) चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर मंगलवार १.०६.२०१० के लिए ली गयी है ..
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. aapka hraday se aabhar ...... meri kavita ko aapne ek manch pradaan kiya hai.....

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