Thursday, October 14, 2010

"लेखनी को नए विचार दो माँ ..."



शब्दों का अतुल भण्डार दो माँ,
लेखनी को नए विचार दो माँ।
इतना मुझ पर , उपकार करो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।
अनुभूतियों को सार्थक रूप दो माँ।
सृजन को व्यापक स्वरुप दो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।
बेरंग शब्दों में , रंग भर दो माँ।
शब्दों को नए अर्थ दो माँ।
"शलभ" को नए आयाम दो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।
शब्दों का मुझे उपहार दो माँ।
कुछ ऐसा लिखूं, सबको निहाल कर दूँ माँ।
इतना मुझपर उपकार करो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
    जय अम्बे माँ

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  2. bahut sunder bhav............

    karana to sabhee kuch aapko hee padega jee.....ha.ma ke sath sath aasheesh hamara bhee aapke sath hai........

    parishram v badte kadam agar sahee disha me ho to sapne sakar hote hee hai.....

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  3. कुछ ऐसा लिखूं, सबको निहाल कर दूँ माँ।
    इतना मुझपर उपकार करो माँ।
    जीवन मेरा संवार दो माँ।

    >>>>>>बेहद खूबसूरत भाव लिए कविता...बधाई.

    ________________
    'शब्द-सृजन की ओर' पर आज निराला जी की पुण्यतिथि पर स्मरण.

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  4. @ Mahendra Mishra ji : Aapka hradey se abhaar....

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  5. @ Apanatva ji : aapke prernadayi shabdon se hamesha mujhe nayi urza milti hai....
    aapka ashirwaad mere sath hai...
    manzil ek din mil hi jaayegi....

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  6. @ K.K. Yadava ji : aap sab ka sath mujhe hamesha kuch naya likhne ki prerna deta rahta hai....

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