Thursday, December 2, 2010

"एक नये सफ़र की तैयारी है। "




"एक जोड़ी पुराने जूते हैं पास मेरे,
और एक नये सफ़र की तैयारी है।
मेरे जाने का जबसे पता चला है ,
घर में सबकी आखें भारी हैं
सबसे बड़ा बेटा हूँ घर का ,
अभी काम बहुत करने हैं
जीवन रुपी समुन्द्र में ,
सघन मंथन
के बाद ही ,
तो
अमृत कलश निकलने हैं "

2 comments:

  1. aapki donon kavitayen padi yahi sach hai amrit pane ke liye kuchh karna padta hai

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  2. @ सुनील जी : मेरे ब्लॉग परिवार में आपका स्वागत है... अपने जीवन के अनुभव ही लिख रहा हूँ.... आपका दिल से आभार....

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