Saturday, December 11, 2010

"मेरे लिए तो वह पल, शताब्दी बनकर ठहर गया वहीं .."



ढूंढ़ता हूँ बहुत, मगर मिलता ही नहीं ।
चाँद मेरे आसमान का खो गया कहीं ।
पथरा गई हैं निगाहें कर-कर के इंतज़ार,
मेरी छत की मुंडेर पर ,
अब कोई काग भी बोलता नहीं।
ढूंढ़ता हूँ बहुत, मगर मिलता ही नहीं ।
वो जाते हुए आपका मुड़कर देखना मुझे।
यूँ तो आपके भीगे नैनो ने कह दिया था बहुत।
फिर भी कुछ बातें थी ख़ास, जो दिल में ही रहीं।
ढूंढ़ता हूँ बहुत, मगर मिलता ही नहीं ।
चाँद मेरे आसमान का खो गया कहीं
लड़खड़ाते हुए कदम थे आपके,
थम गई थी धड़कने "राज" के दिल की।
जुदा हो रहे थे जब हम तुम,
मेरे लिए तो वह पल,
शताब्दी बनकर ठहर गया वहीं।
ढूंढ़ता हूँ बहुत, मगर मिलता ही नहीं ।
चाँद मेरे आसमान का खो गया कहीं

(फोटो : आभार गूगल)

6 comments:

  1. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

    ReplyDelete
  2. ajee vo to dil me utar aaya hai aasman me ab kanha milega.......?

    :)


    shubhkamnae.........
    vaise aap ine dino hai kis duniya me..... ?

    ReplyDelete
  3. @ Apanatva ji : Yaadon Ki Sunhari Dunia me....

    ReplyDelete
  4. @ Sanjay ji :
    "यादों की धुंधली तस्वीरें हैं, बस तस्वीरें ही तस्वीरें हैं।
    मिलना और बिछुड़ जाना, अपनी-अपनी तकदीरें हैं।"

    ReplyDelete
  5. यादों के पलों को थामे रहीये..यही साथ रहते हैं हमेशा...सुन्दर भावाभिव्यक्ति है.
    क्रिएटिव मंच आप को हमारे नए आयोजन
    'सी.एम.ऑडियो क्विज़' में भाग लेने के लिए
    आमंत्रित करता है.
    यह आयोजन कल रविवार, 12 दिसंबर, प्रातः 10 बजे से शुरू हो रहा है .
    आप का सहयोग हमारा उत्साह वर्धन करेगा.
    आभार

    ReplyDelete
  6. @Creative Manch:"मेरे साथ मेरी परछाई नहीं, उनकी यादों के साये चलते हैं...."
    आपको मेरी रचना पसंद आई, आपका ह्रदय से बहुत-बहुत आभार....

    ReplyDelete