Thursday, November 16, 2023

दो पंक्तियाँ ..

हम आज भी वहीं ठहरें हैं,
मेरे आंसुओं पर पहरे हैं। 

दीवारों के तो जाले हट गए,
मन के हटें तो कुछ बात बने। 

No comments:

Post a Comment