
होंगें कई चाँद और आसमानों में,
एक भी चाँद नहीं मेरे आसमान में।
कई दिनों से हो रही घनघोर
बरसात आज थम गई है ।
एक भी इन्द्रधनुष नहीं मेरे आसमान में।
होंगें कई चाँद और आसमानों में,
एक भी चाँद नहीं मेरे आसमान में।
उनकी प्यार भरी बातों में आकर ,
दे दिए सारे सितारे भी मैंने।
अब ना चाँदनी है ना रोशनी कोई,
काली स्याह रात है बस मेरे आसमान में।
रेगिस्तान में घर बनाया,
ज़िन्दगी भर दिल को तड़पाया।
कह दो "राज" तुम उनसे जाकर,
बिना नीर के बादल हैं बस मेरे आसमान में।
होंगें कई चाँद और आसमानों में,
एक भी चाँद नहीं मेरे आसमान में।
बहुत खूब ...
ReplyDeleteare aisee bhee kya baat hai jee........
ReplyDeletebadalee kee ot kabhee kabhee nahee dikhata hai ......shukl paksh bhee to peeche rahta hai.....
shubhkamnae.....
रोज पुरानी यादें लेकर आता है चाँद ।
ReplyDeleteबहुत याद आता है मुझे मेरा चाँद ।