तुम्हारी यादें,
धुँधली कभी हो ही नहीं सकती।
मानो , अभी लौटा हूँ तुमसे मिलकर,
बीस साल पहले की तरह।
समुन्दर किनारे संग तुम्हारे,
तपती रेत पर मीलों चला हूँ मैं।
वक्त आज भी वहीँ ठहरा है।
इसीलिए कुछ भूला ही नहीं मैं।
बारिशों के बाद जैसे इंद्रधनुष ,
बिलकुल साफ़ दिखाई देता है।
वैसे ही आज भी तुम्हारा चेहरा,
मेरी आखों के सामने रहता है।
उम्र के साथ अब निगाहें ,
शायद धुँधली हो भी जाएँ,
मगर तुम्हारी यादें,
धुँधली कभी हो ही नहीं सकती।
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