Friday, April 3, 2009

गुब्बारेवाला हमारी गली में अब आता नहीं.



खिलोनों से अब दिल बहलता नहीं, बातों से अब मन मानता नहीं।
पापा, आपको है कसम हमारी ,हमसे मिलने अब आना यहीं।
गुब्बारेवाला हमारी गली में अब आता नहीं।
बर्फ की चुस्कीवाला भी दूर तक नज़र आता नहीं,
सबको मालूम है, पापा हमारे यहाँ रहते नहीं।
पापा आपको है कसम हमारी , हमसे मिलने अब आना यहीं।
दादी जी को दवाएं और चाहियें नहीं,आपको देखकर ठीक हो जायेंगी वहीँ।
दादा जी चश्मे का नम्बर बदलवाते नहीं,कहते हैं, अब उसकी जरुरत नहीं।
बाईक पर बैठा कर दूर ले जाना कहीं,रास्ते में हम कुछ और मांगेंगे नहीं।
पापा, आपको है कसम हमारी , हमसे मिलने अब आना यहीं।
छोटे भाई की पुरानी साईकल भी कोई ठीक करता नहीं,
मैं हूँ तो बड़ा पर इतना नहीं ,छोटे को बैठा कर अभी मुझसे चला जाता नहीं।
पापा , आपको है कसम हमारी , हमसे मिलने अब आना यहीं।
मम्मी की मुस्कराहटें तो खो गयी कहीं।
"गाजर के हलुए" में मिठास अब होती नहीं।
पापा, आपको है कसम हमारी ,हमसे मिलने अब आना यहीं।

No comments:

Post a Comment