Wednesday, April 22, 2009

यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।



बहुत अच्छा लिखा है आपने, हम हमेशा आपके शुक्रगुजार रहेंगें।

संदेशों को पढ़कर मिटाते रहे अगर, यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।

इस भागती - दौड़ती ज़िन्दगी में , कुछ पल तो अपनों के लिये रखो दोस्तों

अधूरेपन से ना व्यक्त करो अपनी भावनाओं को ,

वरना अपने भी पराये होते रहेगें, यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।

सूरज अपना चक्र कम कर दे अगर, यह दिन के उजाले भी जाते रहेगें।

चाँद जल्दी घर जाने लगे अगर, सपने अधूरे हमारी आखों में ही रहेगें।

खुल कर ना बरसें बादल अगर, धरा पर हम सब फिर प्यासे रहेगें।

वरना अपने भी पराये होते रहेगें, यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।

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