I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Friday, November 26, 2010
"जब भी आता है 26 नवम्बर, दिल के जख्म उभर आतें हैं"
जब भी आता है 26 नवम्बर ,
दिल के जख्म उभर आतें हैं ।
बिछुड़ गये जो हमसे,
वह सब बहुत याद आते हैं ।
ना जाने कब थमेगा,
इसी तरह बिछुड़ने का सिलसिला ,
पूछते है सब , यह एक-दूसरे से...
उत्तर मगर किसी से नहीं पाते हैं ।
जब भी आता है 26 नवम्बर ,
दिल के जख्म उभर आतें हैं ।
क्या जीयेगें इसी तरह ,
मर-मर के हम ज़िन्दगी ,
यही सोच कर , लोग सिहर जाते हैं ।
घर के चिराग जिनके बुझ गये,
हमारी ज़िन्दगी बचाने में,
चलो, आज हम सब मिलकर
उनके घर होकर आते हैं ।
देश पर मिटने वालों का घर,
होता है सच्चा मंदिर,
आज उनके घर पर जाकर ,
अपना शीश झुका कर आते हैं ।
जब भी आता है 26 नवम्बर ,
दिल के जख्म उभर आतें हैं ।
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Salute to our Heroes ....thanks for the posting Shalabh Jee ...Ati Sundar :))
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