I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Sunday, November 14, 2010
क्योकिं बच्चे नहीं जानते, कि बच्चे क्या होते हैं ? (Happy Children Day)
"कभी कभी उसका स्कूल से देर से,
लौटना मुझे परेशान कर देता है।
ऑफिस के काम में नहीं लगता फिर मन मेरा,
स्कूल के फ़ोन मिलाने लगता हूँ।
सड़क पर आकर फिर बस की राह देखता हूँ।
क्योकिं बच्चे नहीं जानते, कि बच्चे क्या होते हैं ?
अपने वजन से ज्यादा भारी बैग अपने ,
नाजुक कन्धों पर लेकर जब वो बस से उतरता है ।
लपक कर वह बैग मैं , अपने हाथों में ले लेता हूँ।
क्योकिं बच्चे नहीं जानते, कि बच्चे क्या होते हैं ?
पानी की खाली बोतल , और भरा हुआ ...
लंच बॉक्स भी थमा देता है वो मेरे हाथों में।
फिर ऊँगली पकड़कर मेरी साथ-साथ बढता है ।
नन्हे-नन्हे पैरों से बड़े-बड़े कदम चलता है ।
खुश होता है वह कि मैं उसका साथ हूँ।
उससे ज्यादा खुशी मुझे होती है ,
कि वह मेरे साथ है।
क्योकिं बच्चे नहीं जानते, कि बच्चे क्या होते हैं ?
यूँ तो अब टॉफियाँ नहीं खाता हूँ मैं ,
खा लेता हूँ मगर, जब आधी तोड़ कर देता है वह,
क्योकिं बच्चे नहीं जानते, कि बच्चे क्या होते हैं ?
यूँ तो अपना होम-वर्क ख़ुद कर लेता है मगर,
"Math" में जरुरत मेरी महसूस करता है।
तब ऑफिस की लाखों की गुणा-भाग को छोड़कर,
"3" और "2" को जोड़ना अच्छा लगता है ।
क्योकिं बच्चे नहीं जानते, कि बच्चे क्या होते हैं ?"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
@ Shivam ji : आपको भी बाल -दिवस की हार्दिक शुभ कामनायें .... आपके शब्दों से मुझे एक नयी उर्जा प्राप्त हुयी है....
ReplyDeleteइस कविता को "चर्चा पोस्ट 4 " में शामिल करने के लिए आपका बहुत -बहुत आभार....
हम बच्चों के लिए अच्छा लिखा
ReplyDeleteबालदिवस की हार्दिक शुभकामनायें
@ Chaitanya Sharma : So cute....Bachchon se hi zindagi hai...
ReplyDelete