Thursday, November 11, 2010

"मेरे सिरहाने आकर बैठ गए, तुम्हारी यादों के साये ..."

"कल रात हम सो नहीं पाये।
मेरे सिरहाने आकर बैठ गए,
तुम्हारी यादों के साये
यादों के बादल,
घिर-घिर के आये।
बीतें हुए लम्हों की,
चमकती रहीं बिजलियाँ।
दिल के आसमां पर,
तुम इन्द्रधनुष बन कर छाये।
कल रात हम सो नहीं पाये।
मेरे सिरहाने आकर बैठ गए,
तुम्हारी यादों के साये
अब इन आंसुओं को कौन समझाये ,
तुम जब याद आये,
बहुत याद आये।
कल रात हम सो नहीं पाये।
राह में हम क्या ठहरे
कुछ लम्हों के लिये,
तुम बहुत आगे चले आये।
फिर कभी हम-तुम ,
मिल नहीं पाये।
फिर भी कुछ अलग है
तुम में बात, मेरे दोस्त।
हम आज तक तुम्हें भूल नहीं पाये।
कल रात हम सो नहीं पाये।"

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