"किताब में रखे गुलाब के फूल और तितलियाँ याद आते बहुत है ।"
पुराने दोस्त याद आते बहुत है ,तनहाइयों में रुलाते बहुत है .“राज" की जिंदगी की राहों में ,मोड़ आते बहुत है .किताब में रखे गुलाब के फूलऔर तितलियाँ याद आते बहुत है ।मै यहाँ ठीक हूँ , यह उनको है ख़बर ,घर से दूर रहने पर मगर ,हिचकियाँ आती बहुत है .तनहाइयों में रुलाती बहुत है .आंसुओं के समंदर में है , “राज” की जिंदगीऔर लोग समझते है , हम मुस्कराते बहुत है "
"फोटो आभार : गूगल"
भीगी भीगी सी यादें ....खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰ आपकी रचना की तारीफ को शब्दों के धागों में पिरोना मेरे लिये संभव नहीं
ReplyDelete@ संजय जी : आपके शब्द मेरी पलकें नम कर गये....
ReplyDelete@ संगीता स्वरुप जी : आपके प्रेरणादायी शब्द मुझे नयी उर्जा दे जाते हैं.... बस यही तो है मेरे पास.....
ReplyDeleteShalabh Jee ,
ReplyDeleteBeautiful as always :)
@ Sanjay ji : Hamare ek dost ne kaha hai "ZINDAGI me DOST nahin'DOSTON mein ZINDAGI milti hai....."
ReplyDeletebahut Sundar Bhai Shalabh ! thanks for sharing..
ReplyDelete@ Arvind ji : Yaaden, Sahara hoti hain jeevan ka....aur jab yaaden kuch "Khaas Doston" ki ho, to baat hi kya hai....
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