Thursday, November 11, 2010

"किताब में रखे गुलाब के फूल और तितलियाँ याद आते बहुत है ।"




पुराने दोस्त याद आते बहुत है ,
तनहाइयों में रुलाते बहुत है .
राज" की जिंदगी की राहों में ,
मोड़ आते बहुत है .
किताब में रखे गुलाब के फूल
और तितलियाँ याद आते बहुत है
मै यहाँ ठीक हूँ , यह उनको है ख़बर ,
घर से दूर रहने पर मगर ,
हिचकियाँ आती बहुत है .
तनहाइयों में रुलाती बहुत है .
आंसुओं के समंदर में है , “राजकी जिंदगी
और लोग समझते है , हम मुस्कराते बहुत है "

"फोटो आभार : गूगल"

8 comments:

  1. भीगी भीगी सी यादें ....खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  2. अहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰ आपकी रचना की तारीफ को शब्दों के धागों में पिरोना मेरे लिये संभव नहीं

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  3. @ संजय जी : आपके शब्द मेरी पलकें नम कर गये....

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  4. @ संगीता स्वरुप जी : आपके प्रेरणादायी शब्द मुझे नयी उर्जा दे जाते हैं.... बस यही तो है मेरे पास.....

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  5. @ Sanjay ji : Hamare ek dost ne kaha hai "ZINDAGI me DOST nahin'DOSTON mein ZINDAGI milti hai....."

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  6. bahut Sundar Bhai Shalabh ! thanks for sharing..

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  7. @ Arvind ji : Yaaden, Sahara hoti hain jeevan ka....aur jab yaaden kuch "Khaas Doston" ki ho, to baat hi kya hai....

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