I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Saturday, November 20, 2010
"आसमान से टूटता हुआ तारा हूँ ...."
कोई किसी को याद नहीं करेगा ,
यह ग़लत कहते है लोग।
ज़िन्दगी भर याद आयेगें ,
मुझे आप सब लोग।
शायद मुझे भी याद करेंगे ,
मेरे जाने के बाद "कुछ" लोग।
जब खामोश हो जाऊंगा मै ,
तब गीत मेरे गुनगुनायेंगे लोग।
चला जाऊंगा इस शहर से जब मै,
मेरे कदमों के निशान ढूढेंगे लोग।
मैं हूँ एक पेड़ चंदन का,
इसलिए मेरे करीब नहीं आते है लोग।
पत्थर पर घिस कर, जब मिट जाऊंगा मै,
तब मुझे माथे पर लगायेंगे लोग।
आसमान से टूटता हुआ तारा हूँ,
एक दिन टूट जाऊंगा मै ।
खुशी बहुत है , इस बात की "राज" को मगर
देखकर मुझे, अपनी मुरादें पूरी कर लेंगे लोग।
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दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई
ReplyDelete@ सुनील जी : आपका ह्रदय से आभार ...मैं आशा करता हूँ....मुझे हमेशा आपसे विचारों से इसी प्रकार एक नयी उर्जा मिलती रहेगी...
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