Tuesday, April 7, 2009

होंगें कई चाँद और आसमानों में ........


होंगें कई चाँद और आसमानों में, एक भी चाँद नहीं मेरे आसमान में।
कई दिनों से हो रही घनघोर बरसात आज थम गई है ।
एक भी इन्द्रधनुष नहीं मेरे आसमान में।
होंगें कई चाँद और आसमानों में, एक भी चाँद नहीं मेरे आसमान में।
उनकी प्यार भरी बातों में आकर , दे दिए सारे सितारे भी मैंने।
अब ना चाँदनी है ना रोशनी कोई, काली स्याह रात है बस मेरे आसमान में।
रेगिस्तान में घर बनाया, ज़िन्दगी भर दिल को तड़पाया।
कह दो "राज" तुम उनसे जाकर,
बिना नीर के बादल हैं बस मेरे आसमान में।
होंगें कई चाँद और आसमानों में, एक भी चाँद नहीं मेरे आसमान में।

1 comment:

  1. अच्छी कविता हे../ पड़कर बहुत खुशी हुई /

    अच्छी लेखनी हे..../ पड़कर बहुत खुशी हुई.../ आप कौनसी हिन्दी टाइपिंग टूल यूज़ करते हे..? मे रीसेंट्ली यूज़र फ्रेंड्ली इंडियन लॅंग्वेज टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा था तो मूज़े मिला.... " क्विलपॅड " / ये बहुत आसान हे और यूज़र फ्रेंड्ली भी हे / इसमे तो 9 भारतीया भाषा हे और रिच टेक्स्ट एडिटर भी हे / आप भी " क्विलपॅड " www.quillpad.in यूज़ करते हे क्या...?

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