वो ख्वाब , आप मुझे दिखातें क्यों हैं ?
वो ख्वाब , आप मुझे दिखातें क्यों हैं ?
I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
कुछ वर्ष पूर्व , अपने शहर में मुझे डा0 विष्णु कान्त शास्त्री जी के ओजस्वी विचारों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं पर उनकी यह पंक्तियाँ मुझे हर पल याद रहती हैं।
"हारे नहीं जब हौसले , कम हुए तब फासले।
दूरी कहीं कोई नहीं, केवल समर्पण चाहियें।
कुछ कर गुजरने के लिए, मौसम नहीं बस मन चाहियें।"
शलभ गुप्ता
और यह सोचना अगर ग़लत है तो यह गलती हम बार - बार करना चाहेंगें ।
श्री गणेशाय नमः
कल सुबह वह यादगार पल आ ही गया, जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था। श्री सिद्धि विनायक जी का आर्शीवाद मुझे प्राप्त हुआ और मेरी सिद्धि विनायक जी के दर्शनों की मनोकामना पूरी हुई।
यदि हमे अपने उद्देश्य और सही गंतव्य का पता होता है तब कदमों को अपने आप गति मिल जाती है। और कदम ख़ुद ही उस मंजिल की ओर चलने लगते हैं। अगर हमे अपने गंतव्य का पता नहीं है तब या तो हमारे कदम रुक- रुक कर चलेगे , कहीं ठहर जायेंगे या फिर मार्ग से भटक जायेंगे। कहते है सबसे तेज़ गति मन की होती है। कई बार मन की तेज़ गति हमें परेशान भी करती है। इसीलिए मेरा मानना है कि किसी कार्य में हमको सफलता तब ही मिलेगी जब हमारी मन ओर कदमों की गति एक समान है।
शलभ गुप्ता