Monday, May 18, 2009

"तेज रफ़्तार और बिना मंजिल का सफर कभी पूरा नहीं होता है"



आईये, कुछ लम्हों के लिए आपको शब्दों की यात्रा पर साथ ले चलें। कभी -कभी, यह कुछ देर की यात्राएँ और छोटी - छोटी बातें उम्र भर के लिए यादगार बन जाती हैं।
मेरे मित्र मुझसे कहते हैं कि तुम Bike तेज क्यों नहीं चलाते हो ? इस पर मैं उनसे कहता हूँ, कि जब Bike तेज चलाने की उम्र थी तब मेरे पास bike नहीं थी और अब जब bike है तो तेज चलाने की उम्र नहीं है।
जीवन में कुछ जिम्मेदारियों का अहसास हमारी गति को control में रखता है। यह जिम्मेदारियां ही हैं जो हमें सही अर्थो में जीना सिखाती हैं। जब हम किसी काम के प्रति जिम्मेदार होंगें, तब ही उस काम को सही दिशा देने में सफल होंगे।
तेज रफ़्तार और बिना मंजिल का सफर कभी पूरा नहीं होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने जीवन की कार्यशैली की गति को इतना कम कर दें कि हम मंजिल तक पहुँच ही ना पायें।

जीवन में संतुलित गति ही हमारे जीवन को संतुलन में रख पाती है।

विचारों के बादल मेरी धरती पर हमेशा बरसते रहें .........
यह शब्दों की यात्राएँ हमेशा चलती रहें..........

आपका ही,
Shalabh Gupta

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