किसी ने क्या खूब लिखा है दोस्तों.........
"सपने किस नयन के टूटे नहीं हैं।
किसी के मीत कब छूटे नहीं हैं।
अमृत के नाम पर विष पी गया हूँ,
अधर मेरे मगर हुये झूठे नहीं हैं। "
"सपने किस नयन के टूटे नहीं हैं।
किसी के मीत कब छूटे नहीं हैं।
अमृत के नाम पर विष पी गया हूँ,
अधर मेरे मगर हुये झूठे नहीं हैं। "
शलभ गुप्ता
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