जो मंजिल पर कभी पहुँच नही सकते , उन रास्तों पर ही कदम रखे हमने ।
जो पूरे हो नही सकते , ख्वाब वही देखे हमने ,
जो हम सुना नही सकते , गीत वही लिखे हमने ।
और जब दिल को लगी प्यास , ख़ुद के आंसू पीये हमने।
जो मंजिल पर कभी पहुँच नही सकते , उन रास्तों पर ही कदम रखे हमने।
खुदा बाँट रहा था जब खुशियाँ लोगों को, नाम उसमे अपना नही लिखाया हमने ।
चंचल हवाओं ने हाथ पकड़ा तो बहुत था ,
फूलों के चमन में , खुशबुओं का मेला तो बहुत था
फिर भी कुछ गिला नहीं तुझसे मेरी जिंदगी ,
तन्हा ही यह सफर तय किया हमने ।
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