मन में विश्वास ला कर तो देखों ,
आत्मविश्वास से हाथों को , ऊपर उठा कर तो देखों,
आकाश तुम्हारी मुट्ठी में ख़ुद ही आ जायेगा ।
तूफानों में कश्ती चला कर तो देखों ,
हौसलों से भंवर पार कर के तो देखों,
कश्ती को तुम्हारी ख़ुद ही किनारा मिल जायेगा ।
पतझड़ के मौसम में , बहारों को बुला कर तो देखों,
बिना मौसम के भी , फूल खिला कर तो देखों,
रेगिस्तान में भी बागवां बन जायेगा ।
बीते हुए कल को भुला कर तो देखों ,
वर्तमान में एकाग्रता लाकर तो देखों,
भविष्य का हर सपना तुम्हारा ख़ुद ही साकार हो जायेगा ।
पत्थरों में आस्था जगाकर तो देखों,
एक बार मन्दिर जाकर तो देखों,
भगवान् का आशीर्वाद तुम्हें ख़ुद ही मिल जायेगा ।
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